जब्ती के बाद अब पुलिस यह तय नहीं कर पा रही है कि कौन सा आधार कार्ड सही है और काैन सा फर्जी
भोपाल । जहरखुरान सिमरन सिंह (असल में तलविंदर सिंह) के पास मिले दो आधार कार्ड का वेरिफिकेशन सवा दो महीने बाद भी नहीं हो सका है। पुलिस ने ये तो पता लगा लिया कि दोनों में से कोई एक आधार कार्ड फर्जी है, लेकिन सही का पता लगाने के लिए उन्हें भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सेंटर से दिल्ली जाने की सलाह मिली है। जानकार कहते हैं कि लॉ इनफोर्समेंट एजेंसीज के सवालों के जवाब के लिए राज्य में यूआईडीएआई को एक यूनिट हो, जिसके जवाब कानूनी रूप से वैध माने जाएं। तलविंदर अकेला ऐसा नहीं है, जो कई आधार कार्ड बनवाकर पुलिस के लिए परेशानी बना हो। इन दिनों पुलिस को धोखाधड़ी, चोरी या अन्य विवेचना के दौरान कई बार ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक व्यक्ति के नाम या तस्वीर का इस्तेमाल कर तैयार किए गए आधार कार्ड कई मामलों में सामने आ चुके हैं। ऐसे में पुलिस को ये पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि इनमें से कौन सा कार्ड सही है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए मप्र में ऐसी कोई एजेंसी नहीं है, जो पुलिस के सवालों का जवाब दे सके। एडीजी आदर्श कटियार का कहना है कि ऐसे मामलों में हम धोखाधड़ी का केस दर्ज कर कार्रवाई कर रहे हैं।
पीएचक्यू की मांग भी दरकिनार
पुलिस मुख्यालय ने करीब एक साल पहले यूआईडीएआई दिल्ली से एक मांग की थी। इसके तहत अज्ञात शव की पहचान के लिए फिंगर प्रिंट मैच कराने की मंजूरी मांगी गई थी। ये मांग पुलिस मुख्यालय की एससीआरबी शाखा के द्वारा की गई थी। पीएचक्यू सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर यूआईडीएआई ने इनकार कर दिया है।
पुलिस के सामने सच्चाई सामने न होने से अटके हैं मामले
केस 1 - एमपी नगर पुलिस ने पति-पत्नी बनकर बैंक में 22 लाख रुपए का लोन अप्लाई करने वाली ममता सिंह, वकील सिंह और सुल्तान सिंह को पकड़ा था। वकील के पास पुलिस को मिनाल रेसिडेंसी के पते पर बना आधार कार्ड मिला, जहां वह कभी रहा ही नहीं। इस पते पर ममता रहती थी। एक ही पता होने के कारण दोनों ने खुद को पति-पत्नी साबित करने की नाकाम कोशिश की थी।
केस 2 - पिपलानी पुलिस ने हफ्तेभर पहले रीवा के छात्र उमेश पटेल, गजेंद्र पटेल और कृष्णा मिश्रा को चोरी के 13 वाहनों के साथ गिरफ्तार किया। सरगना अनूप मिश्रा अभी फरार है। पुलिस को आरोपियों के पास से अनूप मिश्रा की तस्वीर से बनाए गए तीन अलग-अलग आधार कार्ड मिले। आधार कार्ड फर्जी हैं, ये पता तो पुलिस ने लगा लिया, लेकिन इनमें से कौन सा सही है, इसका पता नहीं चला है।
केस 3 - बावड़िया फाटक के पास नर्मदा नगर के पीछे मिली महिला की लाश की पहचान 4 माह बाद भी नहीं हो सकी है। शाहपुरा पुलिस ने महिला की पहचान की कोशिशें शुरू की। पुलिस ने फिंगर प्रिंट के आधार पर यूआईडीएआई से मदद मांगी। राइट टू प्राइवेसी का हवाला देकर पुलिस को दिल्ली जाने की सलाह दी गई। नतीजा ये कि अब तक न महिला की पहचान हो सकी और न हत्यारा पकड़ा गया है।
जिम्मेदार बोले...हमारे पास नहीं है एडवांस सर्च
एक व्यक्ति के कई आधार कार्ड होना मतलब उसने जालसाजी कर इसे तैयार करवाया होगा। आधार कार्ड बनाने का प्रोसेस बायोमेट्रिक के जरिए होता है, इसलिए यूआईडीएआई के स्तर पर ये गड़बड़ी नहीं हो सकती। पुलिस के सवालों के जवाब दिल्ली स्थित यूआईडीएआई के रीजनल ऑफिस से ही मिलना संभव हैं। इसके अंतर्गत मप्र, उत्तराखंड, दिल्ली (एनसीआर) और मप्र राज्य आते हैं। - इबरार अहमद, मैनेजर यूआईडीएआई सेंटर भोपाल